#48

Bhajan Marg
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00:00 - महाराज जी आपने सत्संग में बताया कि साधक को बाजार के पदार्थ नही पाना चाहिए, लेकिन जब हम वृंदावन या बाहर जाते हैं तो पाना पड़ता है, क्या करें?06:31- इस शरीर से बहुत अपराध बने हैं, अब में सच्चे भाव से श्रीजी की ओर बढ़ना चाहता हूं, मार्गदर्शन कीजिए।14:56 - आजीवन ब्रह्मचर्य से रहकर भजन करना चाहते हैं लेकिन कभी-कभी काम सताता है, क्या करें?20:49 - केवल प्रियालाल ही मेरे है और मै उनका हूं, यह भाव हृदय में दृढ़तापूर्वक कैसे आए?22:47 - महाराज जी, मेरा हाथ टूटने से अपने ठाकुर जी की सेवा नही कर पा रही, क्या करूं?Bhajan Marg by Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj, Shri Hit Radha Keli Kunj, Varah Ghat, Vrindavan Dham #bhajanmarg