#564

Bhajan Marg
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#564 एकांतिक वार्तालाप / 28-05-2024/ Ekantik Vartalaap / Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj - हरि और शिव में कौन श्रेष्ठ है और कौन किसका इष्ट है ?02:59 - कैसे पता चले कि हम भगवान की तरफ बढ़ रहे हैं ?04:16 - आपकी प्रत्येक आज्ञा पर चलने का प्रयास भी करते हैं पर फिर भी हृदय में दिव्यता क्यों नहीं आ रही है ?07:16जीवन भर भजन किया तो अगर अंत समय में भूल भी गए तो भगवान खुद से याद क्यों नहीं आते ?09:42 - दूसरों को उपदेश देने की आदत से गिरता चला जा रहा हूं, तनाव और व्याकुलता बनी रहती है, क्या करूं ?21:09 - श्रीजी में अनन्यता और सब में भागवद् भाव, इन दोनों भावों को एक साथ कैसे समझे ?21:09 - कृष्ण जप करते हुए मुंह से कृष्णा निकल जाता है, क्या ये त्रुटि तो नहीं ?34:44 - जब माता पिता और संतान के कर्म अलग होते हैं तो संतान को जानलेवा कष्ट क्यों मिल रहे हैं ?40:34 - मुझे आपके जैसा पुत्र और भजन कीर्तन करने वाली पत्नी चाहिए ! Bhajan Marg by Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj, Shri Hit Radha Keli Kunj, Varah Ghat, Vrindavan Dham premanand maharajpremanand maharaj bhajanpremanand maharaj satsangpremanand maharaj vrindavanpremanand ji maharajpremanand ji maharaj bhajanpremanand ji maharaj satsangpremanand ji maharaj vrindavanpremanand ji maharaj ka satsangpremanand ji maharaj ke pravachanpremanand ji maharaj radha naam kirtanbhajan marg motivationpremanand ji maharaj pravachanekantik vartalaapekantik vartalap premanand ji