एकांतिक वार्तालाप 154 Ekantik Vartalaap/ Bhajan Marg 13-04-2023/
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01/29/24
00:00 - कभी राम भजती हूँ, कभी कृष्ण और कभी हनुमान, एक प्रभु में चित्त कैसे लगे ?04:05 - आसक्ति और विरक्ति के बीच अटके हुए मनुष्य को किस तरह से स्थिर कर प्रभु मार्ग पर चलना चाहिये ?12:42 - क्या सद्गुरुदेव भगवान के चरणों का आश्रय श्रीजी के चरणों का आश्रय ही माना जाएगा ?Bhajan Marg by Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj, Shri Hit Radha Keli Kunj, Varah Ghat, Vrindavan Dham #bhajanmarg
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