एकांतिक वार्तालाप 175 Ekantik Vartalaap/ Bhajan Marg 04-05-2023/
00:00 - परिवार व व्यापार की Planning क्या विषय चिंतन माना जाएगा ?02:01 - जब ठाकुर जी एक ही हैं तो अलग-2 संप्रदाय मे पूजा-पाठ व उपासना के नियम अलग-2 क्यूँ है ?06:48 - श्रीजी तो कृपालु व करुणामयी है तो रसिकों ने वृंदावन रस को सबसे दूर रखने की बात क्यों कही ?08:40 - हम पुष्टिमार्ग वैष्णव है तो क्या हम राधा नाम जप सकते है ?09:50 - मैं नीच बुद्धि के साथ अब तक की ज़िंदगी गुजार रहा फिर आपको सुनको मे भगवदानंद मे डूबना चाहता हूँ, मार्गदर्शन करें । 11:30 - हृदय मे जो भाव था वो शोक मे बदल गया, सबसे प्रार्थना की थी माता के लिये पर फिर भी वो चले गई हैं। 18:27 - लोगों को देख के मुझे गुरु बनाने का मन नहीं होता तो क्या भगवत प्राप्ति के लिए गुरु बनाना अनिवार्य है ?23:50 - अगर माया भी भगवान ने रची है तो वो स्वयं हमारे माता-पिता के अनुरूप हमारी रक्षा माय से क्यों नहीं करते ?26:51 - आपने कहा था सबमे भगवान को देखे पर ऐसे मे कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते है, क्या करूँ ?Bhajan Marg by Param Pujya Vrindavan Rasik Sant Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj, Shri Hit Radha Keli Kunj, Varah Ghat, Vrindavan Dham #bhajanmarg